क्रिकेट में हम देखते है कि कई हाई लेवल टेक्नोलॉजी का use किया जाता है । ।आज के इस ब्लॉग में जानेंगे की क्रिकेट में बोलिंग स्पीड कैसे मापी जाती है,hawkeye snickometer ,led wicket, कैसे काम करते है,इनके पीछे किस प्रकार की टेक्नोलॉजी use की जाती है।
क्रिकेट में टेक्नोलॉजी की जरुरत क्यों पड़ी-
क्रिकेट खेल में हम जानते है कि कई बार कुछ ऐसे फैसले दे दिए जाते है जिनके कारण बाद में विवाद हो जाता है ,अंपायर के द्वारा भी 20 से 25 मीटर के दुरी पर खड़े रहकर कोई भी निर्णय बिना टेक्नोलॉजी के देना आसान नहीं है, इसीलिए क्रिकेट में समय समय पर नयी टेक्नोलॉजी को introduce किया जाता है ।Snickometer -
जब कोई player caught behind होता है तो edge लगा है या नहीं इसका पता लगाने के लिए स्निककोमेटेर का use किया जाता है।
Technology behind snickometer-
Snickometer में basically. Micro phone का use किया जाता है जो stump में लगे होते है यदि बॉल ने बैट का edge लिया होगा तो उस frequency को microphone द्वारा capture कर लिया जाता है और ग्राफ के रूप में edge लगा है या नहीं पता लगाया जाता है।Hawkeye-
जब भी कोई बल्लेबाज lbw होता है तो बॉल विकेट पर टकराएगी या नहीं इसके लिए hawkeye का use लिया जाता है जो बॉल की trajectory क्या होगी ,बॉल hight कितनी लेगी ,या बॉल विकेट तक जाने से पहले कितनी मूवमेंट करेगी का पता लगाकर इस निष्कर्ष पर पंहुचा जाता है कि वाकई में बॉल विकेट से टकराएगी या नहीं।Technology behind hawkeye-
hawkeye के लिए high quality और high accuracy. वाले 6 कैमरे 6 अलग दिशाओं में लगे हुए होते है उनके द्वारा provide किये गए अलग अलग दिशाओं के वीडियो क्लिप्स को softwares की सहायता से analyze कर पता लगाया जाता है की विकेट पे बॉल टकराएगी या नहीं।ऐसे प्लेयर जो सयोंग से बन गए टेस्ट क्रिकेटर
Hotspot-
hotspot का use caught behind में और lbw out में किया जाता है। इसके द्वारा पता लगाया जाता है कि बॉल और बैट का या फिर बॉल और ग्लव्स का संपर्क हुआ है या नहीं।Technology behind hotspot-
hotspot के नाम से ही स्पष्ट है कि 'गर्मस्थान' यानि की जब भी कोई दो चीजे आपस में एक दूसरे से टकराती है या संपर्क में आती है तो उनके बीच heat उत्पन्न होती है जिन्हें हम आँखों से नहीं देख सकते लेकिन stadium में लगे infrared camere इसे कैप्चर कर लेते है जिससे पता लगाया जाता है कि edge लगा है या नहीं।बोलिंग स्पीड-
गेंदबाज द्वारा फेकी गई बॉल की स्पीड ये दिखाती है कि गेंदबाज द्वारा फेकी गई बॉल कितनी तेजी से फेकी गई है।बॉल स्पीड को 2 तरह से मापा जाता है-Technology behind bowling speed
1.स्पीड गन से-
स्पीड गन में ट्रांसमीटर लगा होता तथा इससे specific frequency की microwave को भेजा जाता है जो बॉल से टकराकर वापस आ जाती है ।बॉल को भेजी गई फ्रीक्वेंसी और टकराकर वापस आई फ्रीक्वेंसी के अंतर की सहायता से theoritical सूत्र द्वारा गेंदबाज की स्पीड का पता लगाया जाता है लेकिन इस टेक्नोलॉजी का एक नेगेटिव पॉइंट है इसके द्वारा instant स्पीड को ही मापा जाता है ,यानि की इसके द्वारा बॉल की स्पीड जब गेंदबाज के हाथ से छूटती है तब की होती है लेकिन बॉल जब तक बल्लेबाज तक पहुचती है तब तक स्पीड कितनी होगी वो स्पीड गन से पता नहीं चलता है।
Hawkeye से-
hawkeye में 6 भिन्न भिन्न diraction में लगे हुए कैमरो से स्पीड का पता लगाया जाता है। hawkeye द्वारा बॉलर के हाथ से बॉल छूटने के बाद बल्लेबाज के बेट से संपर्क होने से पहले तय की गयी दुरी और दुरी तय करने में लगे exact टाइम का पता लगाकर speed के सामान्य सूत्र (distance/time) से स्पीड पता लगाई जाती है।Led wicket-
क्रिकेट में किसी बल्लेबाज को तब ही आउट दिया जाता है, जब विकेट और बेल दोनो का किसी भी तरह का सम्पर्क नहीं होने पर आउट दिया जा सकता है लेकिन लेड wicket से पहले high resolution कैमरो से भी exact पता नहीं लगाया जा सकता है कि वाकई में बेल और विकेट एक दूसरे के संपर्क में है या नहीं। led विकेट में जब बेल और विकेट का संपर्क टूटते ही led लाइट जल जाती है।Technology behind led wicket-
Led विकेट में विकेट के ऊपरी सिरे में sensor लगे होते है जो मॉनिटर करते है कि जैसे ही बेल और विकेट का दोनों end से एक साथ संपर्क टूटता है उसी समय सेंसर स्विच ओंन कर देता है और led लाइट जल जाती है।
Fact-इसमें किसी भी प्रकार की हाई टेक साइंस नहीं होने के बावजूद भी स्टंप के एक सेट की कीमत 25 लाख रूपए है क्योंकि इसके right केवल एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी zing के पास है और led स्टंप की कम मांग होने के कारण इसके एक सेट की कीमत 25 लाख रुपये है।
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